वो चाहत नहीं रही

वो महफिलें नहीं रही
वो चाहते नहीं रही

नदी की धार ठहरें हैं
वो हलचलें नहीं रही

चेहरे सभी मुरझाए हैं
दिल में खुशी नहीं रही

भूल गई पुरानी बातें सभी
ऑंखों में तड़प नहीं रही
---राजकपूर राजपूत''राज''
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ