सियासत की बात Siyasat ki Baat Kavita

Siyasat ki Baat Kavita 


वो सबको यूॅं ही बेवकूफ बनाते रहेंगे
खुद की फ़िक्र है आग लगाते रहेंगे !!!


मासुम है तू घर में आग लगा ली
सियासत की बात है धूंआ देखते रहेंगे !!


तुम्हें लगता है कि सियासत तेरी है
मतलब आने दे न तेरी है न मेरी है  !!!


दूसरों पर आरोप लगाने वाले
दूसरों को भड़काने वाले

अपनी गलतियां छुपाने वाले
खुद को होशियार बताने वाले

समय के साथ पर्दा उठता है
नकाब पे नकाब लगाने वाले 

वो ढोंग रचते हैं रोज़ रोज़
दिखावटीपन को अपनाने वाले !!!



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