I Mean, the Poem is far from Each Other.
माना एक दूजे से हम दूर है
लेकिन तेरी यादों में ही चूर है
हमने चाहा था सिर्फ तुम्ही को
मेरी चाहत अब भी महशूर है
मेरा दिल भी कितना पागल है
दिल्लगी उसी से जो बेवजह दूर है
तेरे इश्क़ के सिवा कुछ और चाहिए
रोजी-रोटी कमाने में तुझसे दूर है !!!!
I Mean, the Poem is far from Each Other.
माना दुनिया बहुत बड़ी है
मैं खोया रहा
मेरी मोहब्बत बड़ी है
मैं निकल न पाया उस विचार में
हर जगह, हर पल
मेरे सामने तू खड़ी है !!!!
फिर मौसम बदलेगा
फिर बरसात होगी
हरी-हरी घास को
कई आस होगी
अंकुरित होगा बीज
धरती फिर हरी होगी
जब बरसात होगी !!!!
उसे प्यार का नाम दूंगा
वो दूर है मगर याद आऊंगा
जब भी फुर्सत मिलेगी उसे
उसके ख्यालों में आऊंगा
उसे प्यार का नाम दूंगा
जब भीड़ बुराई करेंगी मेरी
और वो चुप हो जाएगी
कशमकश में रहेंगी कुछ कहा न जाएगी
मेरे लिए उसके सीने में
दर्द भरी मोहब्बत आएगी
और उसके ख्यालों में बार-बार आऊंगा
उसे प्यार का नाम दूंगा !!!!
दूर और पास
मानें नहीं रखता
दिल में हो प्यार
जमाने का मायने नहीं रखता
होगी कोई मजबूरी
लेकिन दिल दूरी नहीं रखता
ख्याल उसका बातें उसकी
तेरा शहर मेरा गांव
मायने नहीं रखता !!!
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---राजकपूर राजपूत''राज''
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