ghazal-ishq-ki-hindi-me
जिसने माना नहीं उसने जाना नहीं
जिसने जाना उसने भी माना नहीं
जता कर अहसास हो जाता है इश्क़
किसी के कहने पर कभी आना नहीं
अपनी ही धुन में मस्त रही गोपियाॅ
फंसे रहे ऊधो जिरह में प्रेम जाना नहीं
अब तुम भी सच सच कह दो राज़
वर्ना तुम मेरे पास कभी आना नहीं !!!
ghazal-ishq-ki-hindi-me
अभी हारेगा प्रेम
फिर करेगा प्रेम
जैसे किसान
ख़ुद के मेहनत पर भरोसा करता है
लेकिन बादलों पर नहीं
बरसेंगे के नहीं
ये वो जानता नहीं
लेकिन बीज बो देता है
अच्छे मौसम में
बस एक उम्मीद
बरसेंगे बादल
भीग जाएंगे बीज
अंकुरित होकर
कपोल फूटेंगे
और पुनः पौधे से बीज बनेंगे
इसी उम्मीद में
प्रेम हारेगा
बादलों का क्या भरोसा ???
बरसना उतना ही
जितने बीज है
रे ! बादल
रे ! पागल
बीज से पौधे
पौधे से बीज बनने तक
सींच देना
तुम्हें प्रेम का वास्ता !!!!
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