december welcome Ghazal
दिसम्बर तुम्हारा स्वागत है
कपकपाती ठंड स्वागत है
बंद पड़े थे अभी आलमारी में
शाल स्वेटर तुम्हारा स्वागत है
सुहाते नहीं थे कभी धूप मगर
कपकपाते बदन को स्वागत है
वो अंगेठी के सामने हाथ सेंकना
पूस का महीना तुम्हारा स्वागत है
कपकपाती ठंड में तुम याद आते हो
गर्म चाय के साथ तुम्हारा स्वागत है
बदन का जकड़न तोड़ने तुम आ जाओ
नई सुबह का सूरज तुम्हारा स्वागत है !!!
december welcome Ghazal
दिसम्बर की अंतिम तिथि
साढ़े बारह बजे बन जाएगा अतिथि
जो फिर आएगा
साल के अंतिम में
बनकर अंतिम तिथि
जिसमें इंतजार होता है
नए साल का
और बिदा कर देते हैं
मस्ती में
डीजे बाजे के साथ
दिसम्बर को एक साल के साथ
इसी उम्मीद में
नए साल का आगमन है !!!!
दिसम्बर तुम जाना तो
उसकी यादें लें जाना
जो कभी मेरा हो ना सका
कभी !!!!
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