आखिर सासु मां कब से खड़ी थी !! क्या हमारी सारी बातें सुन ली है ? अब तो ये मुझसे और चिढ़ जाएंगी । मैंने भी ध्यान नहीं दिया । बेवजह परेशानी । कल्याणी सोचने लगी ।
वह डरती थी अपनी सास से, क्योंकि उसकी सास एक बार झगड़ा शुरू कर दें तो फिर आसानी से रुकती नहीं थी । दिनभर बड़बड़ाना,, पड़ोसियों को सुना सुना के कहना, जो कल्याणी को सहन नहीं होता था । ऐसे फ़ालतू के बहसों में पड़ना ।
कुछ देर उन दोनों को देख कर सासु माॅ॑ चली गई । शायद, कोई बात सुनी हो या फिर नहीं । कुछ कह नहीं सकते ।
यदि सुनी होती तो अभी तक महाभारत शुरू हो गया होता । फिर भी मन के किसी कोने में कल्याणी के बारे में जरूर गलत सोच पैदा हुआ होगा ।
जब कोई इंसान किसी से नफ़रत करते हैं तो सारी अच्छाईयां भी बुरी लगती है । ऐसे लोगों के हृदय मेंं प्रेम की उम्मीद नहीं कर सकते हैं । अपनी नफ़रत में अंधी होकर किसी सच्चाई को स्वीकार नहीं कर सकते हैं । सिर्फ अपनी नफ़रत या शंकाओं को सही सिद्ध करने की कोशिश करते हैं । बाद में अनीता को बहलाने की कोशिश करेंगी । वह बुरी है । तुम्हें बिगाड़ सकती है । ऐसा सोच दिखाकर या तो अपनापन का भाव दिखाएगी या फिर कल्याणी को नीचा दिखाकर खुद ही बड़ा बनने की कोशिश करेंगी ।
शायद ! यही कारण था कि मन के किसी कोने से सवाल उठ रहे थे । खैर , जो हो गया सो हो गया । कर भी क्या सकते हैं । यदि सारी बातें सुनी होगी तो वो जाने,,, मुझे क्या ! ज्यादा सोचना बेकार है ।
अब उन दोनों की बातों में वो लयबध्ता नहीं रही ।जिस विषय पर उन दोनों की बातें शुरू हुई थी । उसकी दिशा मुड़ चुकी थी । अब दोनों की बातों में वो रुचि नहीं थी जो सासु मां के आने से पहले थी । दोनों बातचीत कर ही रहे थे, तभी गाड़ी की आवाजें सुनाई दीं । शायद ! दीपक आ गया है ।
अनीता कुछ समय बाद खाना बनाने के लिए रसोईघर में चली गई और कल्याणी अपने कमरे की तरफ । इघर कल्याणी के मन में फिर सवाल उठ रहे थे ।
क्यों पुरुष एक औरत के ही परीक्षा लेने की कोशिश करते हैं ?? विनोद को देख कर ऐसा लगता है कि बहुत सीधा सादा आदमी है लेकिन नहीं,,, कैसे इस तरह की बातें कर सकते हैं । जजता नहीं ,।
उनका इस तरह के सवाल पूछना कहां तक सही है !! क्या प्रेमवंश जिज्ञासा थी या फिर केवल दबाव,,,। एक औरत के ऊपर । नैतिक जिम्मेदारियों को सौंपने का प्रयास था !! जब खुद ही गलत है तो पुछना भी नहीं चाहिए । क्या हक़ है किसी के चरित्र पर संदेह करने का ।
अंतर्मन में कई सवाल उठ रहे थे । खुद ही सोचते और खुद ही जवाब ढूंढने का प्रयास करती । लेकिन थक जाते । उनके विचारों का अवलंबन नहीं था । कोई सुनने वाला नहीं था । किसी से कह पाती तो शायद, मन हल्का होता ।
एक अनीता ही थी जो उसकी बातें सुनने की कोशिश करती थी, फिर भी उससे मानसिक तसल्ली नहीं होती थी । क्योंकि उसकी परेशानी अलग थी । हां,उम्र में भी तो अंतर है । उसकी अनुमति और चाहते अलग है ।
इघर दीपक बेमेतरा से मछली लाया था । अब मछली लाया है तो दारू पानी का भी जुगाड़ किया होगा । मांस-मछली को इसके बिना खाने में उसे अच्छा नहीं लगता है । एकाध अपने दोस्त को भी बुलाएंगे । साथ में ही पीते हैं । अकेले पीने से मजा नहीं आता उसे । दुनिया भर की बातें करेंगे , नशें में ।
नशेड़ियों की भी अपनी दुनिया होती है । जो समाज आज बिखरा-बिखरा हुआ दिखते हैं । वहीं बुराई और नशे की जरूरतों में परस्पर सहयोग करते हैं । एक दूसरे की विवशता को समझते हैं । बेचारे दोस्तों ने उसे कई बार पिलाएं हैं । शराब आदि पीते समय अपनी खुशियों में शामिल किए हैं तो ऐसे में दीपक कैसे भुल जाएगा ।
नशेड़ियों की एक आदत और ख़राब होती है । अपने नशे की पुर्ति को प्राथमिक मानते हैं । यदि घर में कोई समान मंगाओ तो हिसाब किताब करने लगते हैं । पीने खाने की आदतों को कई बहानों से समर्थन करते हैं । दीपक भी वैसे ही है । उसे और उसके दोस्तों को देख कर ऐसा ही लगता है ।
कल्याणी अपने कमरे में बैंठी थी । तभी दीपक आकर कहने लगा -
क्रमशः-:
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Nice
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