वक़्त कुछ रुका हुआ Time has Stopped Poetry

Time has Stopped Poetry 
वक़्त कुछ रुका हुआ
आदमी कुछ झुका हुआ

बेबस हुआ आदमी देखों
आसमां भी झुका हुआ

ठहर गई जिंदगी सबकी
बंद कमरे में रुका हुआ

कौन समझाए जाहिलो को
गलती करके हॅ॑सता हुआ

सर पे बोझ है जिंदगी जिसकी
वो तलाश में निकला हुआ

ये साज़िश है कोई राज़ पता करो
जमाने में क्यों सब बहरा हुआ

विज्ञान के युग में ये क्या हो गया
हर चेहरे हैं आज डरा हुआ !!!

Time has Stopped Poetry


वक्त रूका हुआ
वहीं हालत वहीं बात
आदमी बदलने की नहीं की बात
इरादे, नीयत साफ नहीं
धोखाधड़ी और आघात !!!

वक्त रूका नहीं था
चलते रहे
तुम आए तो
समय आसानी से कम गुजरते गए
मुझे लगा समय कम पड़ जाएगा
लेकिन मेरी उम्र बढ़ गई
तुम्हारे साथ आने से !!!!


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---राजकपूर राजपूत''राज''

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