Muslims in the Name of Ideas
विचारों के नाम पर
अपनी घटिया मानसिकता का
परिचय दिया है तुमने
स्वतंत्रता के नाम पर
नंगापन दिया है तुमने
कभी भी समाज में
आदर्श प्रस्तुत नहीं कर सके
खुद कन्फ्यूज़ रहे
दूसरों को कन्फ्यूज़ ही कर सके
खुद को रावण कहलाना
होलिका को बहन कहना
तुम्हें अच्छा लग सकता है
क्योंकि वो बुराई के प्रतीक हैं
जो तुम्हारे अतीत है
तुम चाहते तो कह सकते थे
विभिषण को अपना
भक्त प्रहलाद को अपना
लेकिन नहीं
तुम्हें विपरीत धारा में बहना
हिन्दूओं को डसना है
सांप बनकर
कभी मुख्य धारा में
तुम शामिल नहीं हो सकते
और न ही कभी जोड़ सकते
समाज को !!!!
Muslims in the Name of Ideas
डरा नहीं कन्हैया
गला कट गया
डरा नहीं
कश्मीरी पंडित
कश्मीर छोड़ना पड़ा
डरा उस समय
जब कोई मुसलमान सामने आकर
विरोध नहीं किया
जैसे फ्रांस की घटना पर
सड़क जाम कर दिए थे
भाईचारे के नाम पर
एकरूपता दिखाएं थे
पूरे देश में
डरा उस समय
जब विरोध में
कोई शाहरुख, कोई अमीर
कोई नसरूदीन नहीं आया सामने
जो सत्यमेव जयते चलाते थे
भारत से डर लगता था
उस समय बोले थे
अपनी सुविधानुसार
अपने वर्ग के भाईचारे के नाम पर
कितनी एकरुपता है
इन लोगों में !!!
वो आदमी डरा था
डरा ऐसे था
जैसे सामने वाले को
डरा रहा था
छोटी-सी बात को
बड़ी सी
जता रहा था
जबकि उसके इरादे कुछ और था
जिसे समझ कर आदमी
सचमुच डर रहा था !!!!
कृत्रिम रूप से
निर्मित इंसान
प्राकृतिक सौंदर्य
का सम्मान नहीं कर सकता है
जब तक स्वयं कृत्रिम संसाधनों को छोड़ नहीं सकते हैं !!!!
तुलनात्मक रूप से कहीं गई बातें
जैसे हिन्दू और मुस्लिम
जैसे तथाकथित बुद्धिजीवी और संत
समकक्षों से कहीं गई बातें
लोगों की बचने की प्रवृत्ति हो सकती है
या फिर सेकुलर गिरोह की
साज़िश
जिसे जड़ता तो ग्रहण नहीं कर सकते
सुन नहीं सकते
आलोचना
अपनी बुराई
लेकिन वह परिवर्तन होने लगता है
जो प्रगतिशील है
नया विचार को ग्रहण करने के लिए
किसी की साज़िश में फंस सकते हैं !!!
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तुलनात्मक रूप से की गई समीक्षा
या न्याय
अपराधियों को बचाने के तरीके हैं
जो खुलकर
सच और झूठ को
रेखांकित नहीं करते हैं
दोगलापन है !!!!
मुसलमान
सिन्धु नदी पार कर आए
हिन्दू पुकारते हुए
अपने साथ मारकाट लाए
जीने की कला
विपरीत
अपने साथ सियासत लाए
गजनी की क्रुरता
अपने अन्दर पशुता
निर्दयता साथ लाए
अधकटे गला
छोड़-छोड़
तड़पाए
मुसलमान आए
कायर था गजनी
भाग कर जाते
पृथ्वीराज चौहान के
तलवार डर कर
सलवार पहन भाग जाते
फिर भी
भारत के गद्दार
उसके गुणगान गाते
जिसने बांटकर
कई जातियां बनाएं
जब मुसलमान भारत आए !!!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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