चलते रहो अपने सफ़र में -
उठा लो क़दम और चलों इस सफ़र में
बाजुएं करो बुलंद ऑ॑धियों की डगर में
बेशक ये ऑ॑धियाॅ॑ थोड़ी तेज है सफ़र में
मगर नहीं टिक पायेगी तेरे इरादों की कहर में
उस भीड़ से निकल जहां तेरे कोई नहीं
भरोसा नहीं क्रांकिट के जंगल हैं तेरे शहर में
---राजकपूर राजपूत
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