हर माँ-बाप की इच्छा होती है कि उसके बच्चे का जीवन सुखमय हो । जीवन में उसे कोई तकलीफ ना मिले ।उसके बुढा़पे का सहारा बने ।बच्चे उसकी आंखों के सामने ही रहे।शायद ,इसी चाह में हर मां-बाप अपने बच्चों को पढ़ातें -लिखातें हैं ।
दीपक को यकीन नहीं हो पा रहा था कि उसका नाम राज्य शिक्षक भर्ती के चयन -सूची में अपने ब्लांक से टाप 10में जगह बनाने में कामयाब हो गए है । काउंसलिंग की सुचना मिल गई थी । जो पंद्रह दिनों के बाद है। उसी दिन नियुक्ति आदेश भी मिल जाएगा ।
यह खबर सुनते ही घर-परिवार में खुशियां छा गई थी ।माँ-बाप की आंखें चमक उठी । घर वाले गर्व महसुस कर रहे थे । दीपक का परिवार बहुत गरीब थे ।भाई राजमिस्त्री है जो शहरों में कमाने -खाने के लिए चल देते है । घर के सभी लोग दीपक से बहुत प्रेम करते थे और दीपक भी ।
गांव भर में बात फैल गई कि दीपक को नौकरी मिल गई है।गांव वाले भी बहुत खुश थे ।
विजय गांव के सम्माननीय और काफी पढे़-लिखे व्यक्ति थे ।गांव के रिश्ते में दीपक उसे चाचा कहते थे । कई कोशिशों के बाद भी उसे नौकरी नहीं मिल पाई थी । अब खेती- बाडी़ का काम करते है । उसे बहुत बुरा लगता था ,खेती-बाडी़ का काम। लेकिन क्या करे..?उम्र अधिक हो गया है ।
विजय चाचा एक दिन दीपक के घर आया तो अपना अनुभव सुनाने लगे । शिक्षक का नौकरी बहुत बडा़ दायित्व हैं,समाज के प्रति । कई नई पीढी़ का भविष्य अब तुम्हारे हाथों में है ।सबको अच्छी शिक्षा देना ।
दीपक उसकी बातों को गौर से सुन रहा था । कुछ देर तक दोनों इधर- उधर की बातें करते रहे । विजय चाचा बातों को रोकते हुए-''अब शादी करवा लो।एक सुन्दर लड़की है।"
दीपक आश्चर्य में पड़ गए । चाचा कुछ मतलब से आए हैं ।
''ये आप क्या कह रहे हो चाचा जी !"
दीपक को समझाते हुए-''यदि अभी शादी नहीं करवाना चाहते हो तो भी वे लोग दुसरे साल तक रुक जाएंगे ।"
''नहीं । अभी तो मैं शादी के बारे में सोचा भी नहीं हूं । घर की स्थिति सुधर जाने के बाद ही सोचना है । अभी व्यर्थ है।" दीपक नकारते हुए कहा।
''स्थिति तो जल्दी सुधर जाएगी । मैं जिस लड़की की बात कर रहा हूँ, उसका बाप की राजनीति में बहुत रौब है । तुम्हारी मनचाही जगह में नियुक्ति दिला सकता है । कल ही बात हुई है । वे कह रहे थे कि लड़का सरकारी नौकरी में हो तो मै सब खर्च करने के लिए तैयार हूं । बेटा ! ,तुम्हारे बारे में बताया था । तो वे कह रहे थे अभी तो काउंसलिंग बचा है। उसके गांव के पास के स्कूल में पद खाली है । सेटिंग करवाओगे तो बहुत खर्च आएगा ।वे सब खर्च देने को तैयार है। तुम्हारी शादी का भी"
''अभी नियुक्ति नहीं हुआ है और आप कहा तक सोच लिए ।माँ-बाप का क्या ?" गुस्से भरे लहजे में कहा । लेकिन विजय चाचा को कोई पर्क नहीं पडा़ ।वे तो दीपक को सलाह देने ही आएं थे । शायद ! उसके रिश्तेदार की लड़की है।
''मैं ऐसा नहीं कह रहा हूँ । तुम मुझे गलत सोच रहे हो । मेरा अनुभव है कि शादी के बाद अच्छे-अच्छे घरों में भी किच-काच शुरु हो जाती है। एक-एक पैसों का हिसाब मांगते है। फिर वही परिवारिक झंझट ...।'
''झंझट कहां पर नहीं है, चाचा। जहां दो बर्तन होते हैं , वहां आवाजें होती है । जितने दिन चलेगा, चलाएंगे ।" दीपक ने कहा।
ऐसे बता रहे थे जैसे उसके घर की बात हो ।उसके घर में उसकी इच्छाऐं दब गई हो । जो शायद सच भी हो...।
कुछ सोच के दीपक ने कहा ''-लड़की वालों का ख्याल अच्छा है और आपका भी । लड़की वाले दहेज दे रहे है क्योंकि वे सक्षम है। लेकिन साथ ही समाज में इस प्रथा को बढा़ भी दे रहे है...।
और आप मेरे परिवार का मजाक उडा़ रहे हैं क्योंकि आप अकेले में रह कर जीना चाहते थे ।"विजय चाचा पर कुछ असर हुआ।
"तुम एक दिन मेरी बातों को याद करोगे "पक्के दावे के साथ कहा ।
"कैसे आप कह सकते है कि दूर में रहुंगा तो परेशानी नहीं होगी...। आपके लिए अच्छा होगा दूर रहना ।मेरे लिए तो कष्ट है। मेरा भी तो कुछ कर्तव्य है, बुढ़ापे में अपने मां-बाप का देखभाल करना...। इतने दिनों तक पढा़या वो किस काम का..।
आपका भी तो एक लड़का है यदि ऐसा ही सलाह आपके लड़के को कोई देगा ,तब आपको कैसा लगेगा? ये सब जो कह रहे हो उसे मेरे मां-बाप सुन लेगे तो कैसा लगेगा ...।
क्या आप ऐस ही बनाना चाहते हो अपने लड़के को...। शायद नहीं !
इतना सुनते ही विजय चाचा निरूत्तर हो गया।अच्छा था मेरे मां-बाप घर पर नहीं है ..। जाते समय विजय चाचा का मूंह देखा तो लगा कि वो दीपक को बेवकुफ समझ रहे थे और दीपक उसको ।
लेकिन जाते-जाते दहेज का एक कारण भी बता गए ।
........................................................................... राजकपूर राजपूत'राज'
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