मनमाफ़िक बातें इरादें कुछ और है
मज़े से सुलग गए हैं आजकल सभी
सिकरेट का धुऑ॑ उड़ाना कुछ और है
वो शामिल हुई जिंदगी में इस तरह
हाथ छुड़ा के गए बहाने कुछ और है
ये उदासियाॅ॑ बताती है उसके चेहरे का
दिल में दबी चाहते बातें कुछ और है
लाख मुस्कुरा लो मुझे जलाने के वास्ते
इश्क बिना दिल का बहलाना कुछ और है
---- राजकपूर राजपूत'"राज'"
1 टिप्पणियाँ
उत्कृष्ट लेखन
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