Loneliness and a Person's Life प्रकृति और प्रवृत्ति जब स्पष्ट हो जाती है । क्रिया और कारण समझ में आने लगते हैं । रोचकता और उत्साह बिना दृष्टिकोण का निर्माण हो जाता है । ऐसा लगता है कि सब कुछ समझ गया हूं ।
तब तटस्थ भाव आ जाता है । आदमी अकेलापन महसूस करने लगते हैं । बिना रोचकता और उत्साह के ।
निरंतर बने रहना और खुशी का महसूस न कर पाना । उदासीनता है ।
लेकिन दुनिया को समझ कर अपने अंतःकरण में उत्साह, खुशी, सकारात्मक ऊर्जा, सोच को समेटकर जीने वाले लोग इसके अपवाद है ।
कोई किसी को भले ही कमजोर कह लें । अपने गलत इरादों के कारण कोई आदमी अच्छा कभी बन नहीं सकता है । कमजोर दिमाग़ कहकर ऐसे लोगों को नेगलेक्ट न करें ।
शब्द और व्यवहार विचार से ही आते हैं । संवाद की शैली भी विचारों से निकलते हैं । संवाद की मधुरता और कर्कश वाणी - संबंधों को जोड़ते हैं और तोड़ते भी है। जैसा विचार होगा, वैसे ही कर्म के लिए प्रेरित होंगे
कर्म अच्छा होगा तो उसका फल भी मीठा होगा । शांति होगी । बुरे का बुरा अहसास ही मिलेगा ।
Loneliness and a Person's Life
माइंड सेट हो
जाना निर्धारित होजाना
समाज के व्यवहार से
व्यक्ति के स्वाभाव से
सोच समझकर आचरण करना
चालाकी से
समझदारी का पर्याय है
आजकल !!!! ...
एक गलती क्षम्य नहीं है
सफेद कपड़ों की
लोग उतार देते हैं
नज़र आने पर !!!!!
एक गलती से रिश्ते टूट जाते हैं
प्यार कच्चा है तो हाथ छूट जाते हैं
मौके की ताक पर बैठे हैं सभी
चालाकी से सब कुछ लूट जाते हैं !!!
गलती हमारी है तुम मान गए
मोहब्बत हमारी है तुम नहीं माने
मैं झुका ही किस लिए
तुम नहीं जान पाए !!!!
प्रेम में !!!
अगर तुम साथ हो
जीने की बात हो
सफ़र गुजर जाएगा
अगर हाथों में हाथ हो
इसी उम्मीद में, मैंने सोचा
जीवन कठिन है
सरल जीवन की बात हो
अगर तुम साथ हो
दिशाएं चार हैं
लेकिन चलने को तैयार हैं
पास आएंगी बाधाएं
एक दिशा का चयन हो
मगर राय एक हो
अगर तुम साथ हो
प्रेम में अकेला होना अच्छा है
जो चाह न करें भीड़ की
वहीं दिल तो सच्चा है
मैं जैसा सोचता हूं
तुम भी निश्चिंत हो
अगर तुम साथ हो !!!!
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-Rajkpur Rajput
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