जितनी स्वतंत्रता मिली ।reflective-intellectual-to-meant-poetry-literature-life जितनी सभ्यता का दावा किया । लोग डेढ़ होशियार हो गए । आधुनिकता और नए विचारों के नाम पर, सवाल उठाते उठाते, खुद घायल हो गए । लेकिन जो मुर्ख, खुद को किसी लकीर में बांध कर रखा है । वो आज भी एक है । उसको मनाने के लिए तुष्टिकरण करते हैं । डेढ़ होशियार । फ्रांस की घटना है । जिसका नतीजा ये हुआ है । मुर्ख समूहों में हो तो सबको डरना चाहिए । आज मुर्ख समूहों में हैं । डेढ़ होशियार बिखरा हुआ । ज्यादा बुद्धिजीवी होना मतलब-
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तथाकथित ...
बुद्धिजीवियों के बीच के रिश्तों में
कभी आत्मीयता नहीं होती है
संशय और शंकाओं से लटकी हुई होती है
जो आवश्यकताओं के अनुरूप
परिवर्तन होते रहते हैं
दृष्टिकोण और परिभाषाएं में
बेशक कुछ समझदारी हो सकती है
जो सहानुभूति दे जाती है
अपने शब्दों में
चंद सहयोग में
लेकिन समर्पण नहीं
क्योंकि बौद्धिक गुण उसे सचेत करते हैं
कभी किसी के लिए
बर्बाद नहीं होना है
जो आत्मिक संबंधों को
जोड़ने नहीं देते हैं !!!
जब तक उसके विचार में
मन्दिर का जिक्र न हो
भले ही अन्य धर्मों का
उसके प्रतीक का जिक्र न हो
खुद को बुद्धिजीवी
कहलाने से कतराते हैं
इसलिए एक हिन्दू आस्था पे
सवाल उठाकर
क्रांतिकारी विचारक बन जाते हैं !!!
मैंने उसे अभी विद्वान नहीं माना था
लेकिन उसने अपनी बात
इतने ज़ोर से कही
सब पलट कर
उसकी बातों पे चर्चा करने लगे
और चिल्लाने और शोर करने वाले को
बुद्धिजीवी कहने लगे !!!
तथाकथित बुद्धिजीवी , विचार किस देश काल का इससे मतलब नहीं लेकिन अपने एजेंडे के लिए सेट करने की कोशिश जरूर करते हैं । दोगलापन । इनका ज्ञान सर्वव्यापी नहीं होता एजेंडे के हिसाब से होता है । किसी को टारगेट करना !!!
खुद को कितना काट रहा है
अपना पाप दूसरों पर छांट रहा है !!!!
मैं भी उसके जैसे लिखूं
भगवान पर संदेह
एक खास धर्म पर
सवाल
दूसरे पर चुप
कितना समझदार हो गया है
तथाकथित बुद्धिजीवियों जैसा !!!!
इन्हें भी पढ़ें 👉 बुद्धिजीवी और उसका चिंतन
-राजकपूर राजपूत
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