स्त्री और पुरुष का प्रेम में वासनाओं का होना जरुरी है ! love-and-attraction-poetry-literature-life- वर्ना बिना वासनाओं के एक स्त्री और पुरुष का prem अधुरा है ! दुनिया में बहुत कम लोग हैं ! जो बिना वासना के रिश्ते रखते हैं !हिंदी कविता -woman and man -poem in hindi 👇👇
सहसा मुस्कुरा दी
वह स्त्री
एक पुरुष को देखकर
जो स्वीकृति दी
अपने समर्पण की
एक पुरुष के समकक्ष आने के लिए !!!
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प्रेम और आकर्षण
अकेले में तो
सभी जुडे रहते हैं
हर कोई
अपनी बातों से
अपने व्यवहारों से
फर्क है
भीड़ में पहचान पाना
ख्याल कर पाना
अपने प्राथमिक जरूरतों में
किसी को शामिल कर पाना
जो याद रहे हरदम
जीने के लिए
हवा, पानी की तरह
वर्ना वासनाओं से ग्रसित पुरुष
अकेले में एक स्त्री से
प्यार की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं
जब बाहों में होती है
एक स्त्री
पुरूष की
वासनाओं की जागृत अवस्था में
पूर्ति के बाद
अलग !!!
सेक्स और प्यार
एक स्त्री की दोस्ती सेक्स से प्रेरित हो सकती है
क्योकि ज्यादा दिनों की दोस्ती
प्रेम में परिवर्तित हो जाती है
जो sex के लिए प्रेरित करती है !!!!
सेक्स भरी आंखें
सेक्स से लालायित आंखें
राह चलते निहारते हैं
सीटी बजाते हैं
ताकते हैं और झांकते हैं
जिसे समान अहसास होता है
उलझ जाते हैं
प्रेम के नाम से !!!
कोई बाप अपने बेटी को
बंधन में नहीं डालते हैं
डालते हैं इसलिए कि
एक पुरुष की नजरें
स्त्री वीभत्स आंखों से देखना
जिसे एक बाप जानता है !!!
विवाह का ख्याल आते ही
कोमल मन आनंदित था
ऊंची उड़ान
भरपूर अपनापन
बसाएंगे ऐसा संसार था
साल महीनों की बात है
ख्याल काफूर है
प्रेम की कल्पना से निकल कर
जिम्मेदारी से कब लदे
कोमल प्यार हमसे बहुत दूर था !!!
-राजकपूर राजपूत
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