मोहब्बत नफ़रत है मुझसे Love-hate-hai-

 लोग अच्छी बातों को केवल शब्दों तक ही सीमित रखा है ।ove-hate-hai-to-you-poetry-literary- उसे चरित्र में स्वीकारना पसंद नहीं है । लोगों के नजरिए में स्थापित बुद्धि है - मतलब निकालना  । जिसमें इतने परांगत है कि हर अच्छी चीजों, बातों से निकाल लेते हैं । जिसमें आजकल सभी माहिर हैं । स्वार्थ बुद्धि को खुश के भीतर स्थापित करने के लिए । दया, प्रेम , करूणा आदि मानवीय गुणों का त्याग करना पड़ता है । जिसे आजकल सभी त्याग दिए हैं । पढ़िए इस पर कविता हिन्दी में 👇👇

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मोहब्बत और नफ़रत

लिखने के लिए बहुत कुछ है
घृणा, नफ़रत, साजिश
लिखने के लिए बहुत कुछ है
ईर्ष्या,जलन, तपिश
जिसे तुम देख सकते हो
सबके दिलों में
विचारों में
उसके एजेंडों में
जनसामान्य से लेकर बुद्धिजीवियों तक
जीते हैं इन्हीं दृष्टिकोण में
जिसे सुहाते नहीं है प्रेम
जबकि मेरी तलाश है प्रेम
जिसे मिले सुकून
मेरे दिल के अंतस में
किंतु मिलता नहीं है प्रेम
किसी के दिल में
सिवाय नफ़रत के !!!!!

जरा सी बात थी

और तुमने घुमा फिरा कर कह दिया

कितना कठिन हो गया

तुम्हारा संदेश

भाव, अर्थ

जिससे सत्यता को ग्रहण नहीं कर पाया !!!

मोहब्बत भी

अब चेहरा देखने लगी 

कपड़े देखने लगी 

बाह्य आवरण

आकर्षक है

तो सारी दुनिया

दर्शक है 

अंदर की बातें कौन समझें

बाहर से ही दर्शक है !!!!


प्यार सबको चाहिए

मगर निभाना कोई नहीं चाहता है

कष्टों को देख

सुविधाएं ढूंढती है

ऐसी मानसिकता

प्यार कहां करती है !!!!

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-राजकपूर राजपूत
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