फटी जीन्स torn-jeans-poem-hindi

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 ग़ैर तो औरतों को

बिन कपड़ों के देखना चाहता है
और लड़कियां फटी जीन्स
पहनना चाहती है
एक की आरजू है
दूसरों के अंग देखें
दूसरे की आरजू है
सबको दिखाएं
इसमें बहस बेकार है
जिसको जो मर्जी
देखें और दिखाएं
सभ्यता का पैमाना
इस जमाने में अलग है
कोई छुपाएं कोई दिखाएं

फटे कपड़ों में 
भिखारी को देखना बुरा है 
फटी जींस में 
लड़कियों को देखना 
अच्छा है 
नजरिये का सवाल है साहब !!

फटी जींस तो क्या हुआ साहब

एक की नजरों में

अश्लील तो

दूजे की नजरों से फैशन है

लोग बदल रहे हैं

नजरियों के हिसाब से

कल सही था आज गलत है !!!

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लोग उन बातों को तो कहते हैं

कि चीरहरण हो गया

किसी लड़के ने

किसी लड़की को

गलत निगाहों से देख लिया

क्या कभी गौर किया है

किसी लड़की द्वारा

खुद के अंगों को उघार दिया है

इसे किसी नैतिकता पे रखेंगे !!!


भागी हुई लड़की

सत्रह, अठारह बरस में

बहुत कुछ भूल जाती है

मां बाप का फटकार

उनका दुलार

भाई के झगड़े 

प्रेम मगर तगड़े

छोड़ देती है

किसी एक आदमी के लिए

सबकुछ

शायद ! इन सबसे ज्यादा खुशी मिली है

लेकिन मां बाप नहीं भुलते हैं

उसका पालन किया गया प्यार

भाई नहीं भूलते

उनका दुलार

इसलिए याद और गुस्सा

मोहब्बत और नफ़रत आती है

बार-बार

जबकि लड़की इन सबसे

दूर हो जाती है

आसानी से !!!!!

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-राजकपूर राजपूत
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