educated-to-mean-poetry-hindi-literature-life तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग, साहित्यकारों, राजनेताओं ने अपने एजेंडे को प्राप्त करने के लिए जो मूल स्वरूप को बिगाड़ा है । उसके तरीके ही राजनीति है । आजकल कोई वर्ग, कोई व्यक्ति, कोई संस्था, को सही रुप में पहचान पाना कठिन है । सोशल मीडिया पर तो सब कोई महान है लेकिन कर्म,, क्या पता!!?
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इतने शिक्षित मत होना कि
हरदम सवाल उठाते फिरो
इतने समझदार मत होना कि
हर रिश्तों से मतलब निकालो
ऐसी सियासत मत करना कि
रिश्तों की पहचान भूल जाओ
ऐसी बनावटी जिंदगी मत जीना
अपनी नजरों से खुद गिर जाओ
याद रखना जिंदगी बहुत छोटी है
ग़म के दौर में भी हंसो और हंसाओ !!
पढूंगा उतना ही
जानता हूॅं जितना ही
तू व्यर्थ के सन्देह करता है
शिक्षित हुआ जितना ही
तर्क को अक्लमंदी न समझ
कठिन है जीवन सवाल जितना ही
तुम क्या जानो प्यार का मतलब
तेरे वादों ने जटिल बनाया
उलझाओ उलझता है जितनी ही !!!
अच्छा हुआ समझ गया
इसलिए निकल गया
वर्ना बहलाने आए थे
चालाक था इसलिए समझ गया
राजनीति भारी है अध्यात्म पर
अर्थ सब समझ गया!!!!
मैं और अच्छा हो सकता था
कई सिद्धांतों को
कई रीति रिवाज
धर्म पालन कर सकता था
लेकिन नहीं लोग झूठों को महत्व देते हैं !!!
उसके तर्क में
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-राजकपूर राजपूत
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