where-ki-things-where-laden-gazal-literature-life
कहीं की बातें कहां ले आए
सच तोड़ तुम झूठ ले आए
एक सिक्के के दो पहलू हैं
सुविधा में एक पकड़ ले आए
कमी निकालोगे गलती तो निकलेंगे कई
अपना छोड़ तुम गैरों के ले आए
इंसाफ़ नहीं है जो तुम कहते हो
सियासत की बातें तुम ले आए
द्विअर्थी है सारे संवाद तेरा
बातों ही बातों में मतलब ले आए
बहलाना, फुसलाना, दिखावटीपन
कहां से ऐसे अक्लमंद ले आए !!
उसे गरीबी से मतलब नहीं है
गरीबी के नाम पर सियासत करनी है
कहीं की बातें कहां ले आए
पहननी थी चड्डी और पैजामा ले आए
वाह ! रे दोगले इंसान
अपनी बुरी नीयत ले आए !!!
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फिलिस्तीन पे लिखने वाले
दोगले सब दिखने वाले
भीड़ इकट्ठा कर लिए
फिलिस्तीन सा दिखने वाले
गला काटा तो चुप था
सेक्युलर गिरोह कहने वाले
दोगलापन भी भारी है
संदेशखाली पे चुप रहने वाले!!!
किसी के ज्ञान की बातों पे मत आना
आने से पहले इतना जरूर जानना
वो बोलते हैं सबसे या फिर सेलेक्टिव हैं
तथाकथित बुद्धिजीवी कहलाने वाले !!!!
अब मैं बोधिसत्व हूं
और लिखूंगा
कविताएं
हिन्दुओं पर
उसके राम पर
कृष्ण पर
कंस पर
रावण पर
आलोचनात्मक दृष्टि हो गई है
मेरी
क्योंकि बोधिधर्म का हूं
मैं
तुम जानते नहीं !!!!
लिखने वाले लिखते हैं
उन पर कविताएं
जो गला नहीं काटते !!!
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