जब कोई तुम्हारा हृदय तोड़ दें - कविता

 जब कोई तुम्हारा

when-someone-your-heart-break-the-poem प्रेम - करूणा से उपजी हो तो निश्चित ही भावुक होने वाला है । दूसरों का दुःख स्वयं का प्रतीत होता है । लेकिन एक क्रियाशीलता भी आ जाती है । जिससे प्रेम होता है । उसके दुःख दूर करने का प्रयास होता है । यदि स्वयं के हाथों में हो तो । 

जहां प्रेम में कुछ नहीं कर पाते हैं । वहीं प्रेम स्वयं के प्रति निर्दयी हो जाता है । केवल दुःखों का अहसास , आत्मघाती, निराशा, हताशा भर देती है । 

प्रेम हो जाने के बाद आदमी बंधा रह जाता है 

। 

केवल बुराई पर ध्यान देता है
जब भी कहा जाता है
आलोचना खिल्ली नुमा
व्यंग्यात्मक हो
सुधार की भावना
बहुत कम हो
तो समझ लेना
वो आदमी नफरती है
क्योंकि उसमें भी बुराई
कूट कूट कर भरी है
जिसने या तो अपनी बुराई से
ध्यान हटाने के लिए
या लकीर काटने के लिए
बात कही है
जिसकी औकात नहीं है
बराबरी करने की !!!!!!

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नकारात्मक बातें सुनें हो
इसलिए थकावट चुनें हो
न अपने कर्म पे भरोसा
दूसरों का सदा सुनें हो
धर्म पालन पे कठिनाई जो आई
दूसरों को श्रेष्ठ कहें हो
लज्जित होकर चलते हो
किसे अपना कहते हो
जो तुम्हें थका रहा
जो तुम्हें झूका रहा है
क्यों उसके लिए
जीते मरते हो !!!!

जब कोई तुम्हारा दिल तोड़ दें
तुम्हारा दिल चाहे उसे छोड़ दें
जिसे अपना मानों
और वो मतलब निकाले
उसकी गली में मत जाओ !!!

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