पिता की आंखें बहुत कुछ देखती है ।fathers day-on-special-poem-in-hindi मगर कहती कुछ नहीं है । अपनो के खातिर । समझती है सबकुछ लेकिन चुप रहती है । हर पल । अपनो के खातिर । पिता की आंखें ही है । जो अपने लिए नहीं बल्कि अपनो की खुशियों के खातिर जागती है । कष्ट सहती है । हंसकर । हर चुनौतियों से लड़ जाती है । अपनो के खातिर । पिता की आंखें ही है जो जो इस मतलबी दुनिया से खुशियां ढूंढ कर ले आती है । अपनो के जीवन सुगम बनाने के लिए सजग रहती है ।
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पिता की आंखें
बहुत कुछ देखती है
बाहरी दुनिया से
अपनो की दुनिया तक
खुशियां अपनो की
ले आती है बाहरी दुनिया से
जद्दोजहद कर
अपने प्रयास से
पिता की आंखें
बहुत कुछ देखती है
घर की चौखट से
बाहरी दुनिया तक
हर आहट को
पहचानती है
पिता की आंखें
सचेत रहती है
हर पल
अपनो के लिए
सुरक्षित माहौल तैयार करती है
पिता की आंखें
जो कभी रो नहीं सकती
जो कभी कह नहीं सकती
केवल लड़ सकती है
दुनिया की मुसीबतों से
अपनो की खुशियों के खातिर
बस एक सुकून के लिए
पिता की आंखें
तरसती है अपनो के बीच !!!!
आज भी
वो पिता रोता है
कल भी रोया था
जब तुम्हें
बीस पच्चीस साल तक
लाड़ प्यार से पाला था
मेरी रानी बेटी कहकर पुकारा था
तुम्हारे लिए
बहुत कष्ट सहे थे
उसकी मेहनत
उसकी तपस्या
तुम्हारी खुशियों के लिए थी
मिट जाते थे
दर्द सभी
जब भी तुम्हें देखते थे
वह धूप में जल जाता था
तुम छांव बन
ठंडक बन जाती थी
तुम्हें देखते ही
लेकिन तुमने
दुनिया को देखकर
बदल दी नजरिया
अपने जीवन को
पिता के आदर्शों से बड़ा माना
अपने फैसले और जीवन में
पिता को अलग कर दिया
यह कहकर
मेरा जीवन
मेरा फैसला
बरसों के पिता के सपने को कुचल डाला
एक पल में
मार डाला
जैसे पिता महत्व हीन है
तुम्हारे जीवन में !!!!
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