पिता दिवस की शुभकामनाएं - कविता fathers day-best wishes-poem-meregeet-literature-life

fathers day-best wishes-poem-meregeet-literature-life.

 हिसाब किताब में  

निकल जाती है जिंदगी
पिता की
देहरी के बाहर
देहरी के भीतर
खुशियां टटोलती है जिंदगी
पिता की
जहां से खुशियां आएंगी
वहां जाती है जिंदगी
पिता की
तन जलाती है धूप में
कंपकंपाती ठंड में
घनघोर बरसात में
दर्द किसी को
नहीं बताती है जिंदगी
पिता की
बस सोचता नहीं
अपनो के खातिर
हर कष्ट सह लेता है
एक मुस्कान के खातिर
अपनो की खुशियों से
मुस्काती है जिंदगी
पिता की !!!!!

fathers day-best wishes-poem-meregeet-literature-life.


पापा मैं बड़ी हो गई
अपने पैरों पे खड़ी हो गई
अब समझाओं न मुझे
१८+से उम्र बड़ी हो गई
अब लें सकती हूं हर निर्णय
बाप के सामने बेटी खड़ी हो गई
लांघकर चौखट बेटी चली गई
बेगैरतों के हाथ पकड़ खड़ी हो गई
इतना भी क्या था इश्क़ का गुमान
पाला पोसा बाप ने मोहब्बत बड़ी हो गई
फिर भी बाप की दुआं है खुश रहना
तुम हो मेरी बेटी गैरों की थोड़ी हो गई
मगर ये दुआ कोई काम न आया
कई टूकडों में बेटी फ्रिज में ठंडी हो गई 

फैसला तुम्हारा बाप को दोष मत देना
तुम पढे लिखे हो मुझे गवार मत कह देना
जोश का फैसला है तेरा जो प्यार नहीं
मैं समझता हूं मुझे गवार मत कह देना

आज फिर कोई दीए नहीं जले
जलते तो कैसे दोगले के दिल नहीं जले
न प्रदर्शन न विरोध हुआ है अभी
गैर बिरादरी का था दिमाग नहीं जले
हमने माना था उसे जागरूक है
उसकी ज्योति पुंज मोमबत्ती नहीं जले
वो वैज्ञानिक सोच के खुद को मानते हैं
अपनी बिरादरी देख दिल नहीं जले
इतना दोगलापन किस काम का "राज "
अपने/पराए के चक्कर में ईमान नहीं जले  !!!!

इन्हें भी पढ़ें 👉 पिता दिवस 
fathers day-best wishes-poem-meregeet-literature-life.



Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ