योग है एक साधना
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खुद को खुद में बांधना
अंर्तनाद की प्रतिध्वनि को
भीतर ही भीतर है जानना
जब मन बहुत अशांत हो
अंतर्कलह का मन में बात हो
बैठ जाना तुम शांति से
कह देना तुम भ्रांति से
आ गया अब तुझे भेदना
योग है एक साधना
चंचल मन पे विचार करो
किधर जाता है ध्यान करो
अपना अस्तित्व तब पहचान पाओगे
कौन हो तुम? क्या हो तुम? जान पाओगे
अद्भुत है खुद को जानना
योग है एक साधना
दुनिया यूं ही दौड़ती है
क्या पाती है ? क्या खोती है ?
न हो उद्देश्य ओझल तेरा
कठोर करो मन कोमल तेरा
अपनी क्षमताओं को, तुझे है जानना
योग है एक साधना
मिलती नहीं है कुछ भी इतनी आसानी से
केवल कहने भर की जुबानी से
लेकर संकल्प जिसे है पाना
योग है एक साधना
-रजकपूर राजपूत
2 टिप्पणियाँ
बहुत ही सुन्दर आध्यात्मिक ज्ञान
जवाब देंहटाएंthanks
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