what-is-happiness-poetry-in-hindi
सुख पुर्वानुमान है
इच्छित वस्तु की प्राप्ति से पहले की
एक उत्साह है
उस ओर जाने की
जैसे किसी बच्चे का
मेले आदि में जाने के लिए
अत्यधिक लालायित होना
चंचल होना
झूमना, गाना
मेले की सुखानुभूति है
जहां पहुंचने के बाद
सुखानुभूति बिखर जाती है
जैसे ध्यान भटक जाता है
कई दुकानों पर
और मेले का चक्कर लगाते - लगाते
पैर जरूर दुख जाता है
जिस ओर ध्यान जाता है
बरबस
मेले की सुखानुभूति को छोड़कर !!!!!
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