मेरे मर जाने के बाद - My-die-after-poetry-love-of-literature-lifeकविता

My-die-after-poetry-love-of-literature-life सहानुभूति यदि किसी के प्रति है तो दया का भाव हो सकता है ! और दया प्रेम का । सहानुभूति मदद के लिए उत्प्रेरित है तो वह प्रेम बन जाता है । 

यदि सहानुभूति शब्दों तक सीमित है तो दिखावा है । जो सहानुभूति जैसे भावों से जुड़ने का अहसास दिलाने का ,, छलावा का एक प्रयास है । सहानुभूति दिखाकर पिण्ड छुड़ाना भी अद्भुत नौटंकी है । 

जबकि सच्ची सहानुभूति शब्दों से निकलकर मदद के लिए तत्पर रहते हैं । अगर सहानुभूति क्षणिक आह बनकर निकले तब वह समझ लेना वह उतरने और चढ़ने वाले प्रेम है । स्थायित्व नहीं !!!!

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 मेरे मर जाने के बाद

तेरी स्मृति से
बड़ी आसानी से
मैं मिट जाऊंगा
(मैं चाहता भी हूं)
कुछ दिनों के बाद
तुम भूल जाओ मुझे
मेरे मर जाने के बाद

जिससे अचरज नहीं है मुझे
मैंने चाहा है इस तरह तुझे
तुम जीना दुनिया में बेहतर
हर मुश्किलों में हंसकर
यही चाहत है मेरी
मेरे मर जाने के बाद

तेरी खुशी मेरी खुशी है
तेरी हंसी मेरी हंसी है
और तुझे दुनिया से
खुशियां ढूंढनी है
मेरे जाने के बाद
मेरी याद तुम्हें दर्द देगी
तुम्हें तड़प देगी
जबकि दुनिया बहुत बुरी है
जहां जीना भी जरूरी है
इसलिए छोड़ देना जो मजबूरी है
भूल जाना मुझे
मेरे जाने के बाद  !!!!!

मेरे मर जाने के बाद
तुम मत आना
मेरे अर्थी पर
कांधे मत देना
जो जीते जी
जो साथ नहीं आ पाए
सहानुभूति मत जताना
जितना जाना
उतना मानना
एकाध अच्छाईयों को
गिन कर
मत रोना
जो जीवन गलतियां देखी है
उसे अंतिम समय में 
क्या सबूत दूंगा
अपनी बेगुनाही का !!!!

मेरे जाने के बाद
लोग तो कुछ कहेंगे
हंसेंगे
या फिर रोएंगे
अपनी मृत्यु याद कर
भला बन जाएंगे
जिसे मृत्यु का भय नहीं
वो भी डर जाएंगे
कल हमारी बारी है
मृत्यु की सवारी है !!!

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