बातें उन दिनों की कितनी अच्छी थी -गजल

 things-of-the-days-how-well-were-poem-hindi


बातें उन दिनों की कितनी अच्छी थी

बैठ बतियाते थे दोस्ती कितनी अच्छी थी

हमारे फटे कपड़े थे लेकिन परवाह न था
नंगें पैर घुमते थे मस्ती कितनी अच्छी थी

ग़रीबी में जीते, न मांगा कभी अच्छे खिलौने थे
वहीं गिल्ली डंडें और हंसी कितनी अच्छी थी

वो धूप में घुमना और देर तक धूल से खेलना
पीपल और बरगद की छांव  कितनी अच्छी थी

पदना और पदाने में कितना मजा आता था
दोस्तों के मिलते ही खुशी कितनी अच्छी थी

भूल जाते थे घर का रास्ता हंसी ठिठोली में
पिता की नाराज़गी मां की ममता कितनी अच्छी थी

न फेसबुक, न इंस्टाग्राम,न ही वाट्सअप का जमाना था
दोस्ती के रंग में रंगे वो मुलाकात कितनी अच्छी 
थी !!!!

things-of-the-days-how-well-were-poem-hindi




बात उन दिनो की है 
जब गरीबी थी 
वास्तविक 
यूं कागजों में 
सोशल मीडिया के चिंतन जैसे नहीं 
सियासी के कहने के लिए 
वोट बैंक को साधने के लिए 
नहीं थी गरीबी 

गरीबी थी 
लेकिन दिल अच्छा था 
सच्चा था 
किसी से शिकायत नहीं 
किसी का लालच नहीं 
ग़रीबी में भी सुकून तलाश लेते थे 
जी लेते थे 
जीवन 
शांति से 
जिंदा रखने के लिए 
दिल में भावनाएं थी 
आजकल की तरह 
चालाकी नहीं !!!!!


things-of-the-days-how-well-were-poem-hindi

things-of-the-days-how-well-were-poem-hindi




Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ