आजकल सत्य के लिए कोई नहीं लड़ते हैं

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 आजकल सत्य के लिए

कोई नहीं लड़ते हैं

स्वयं को स्थापित करना है

इसलिए लड़ते हैं

तर्कों की पुष्टि से सिद्ध होता है

बहस में जितना सिद्धहस्त होता है

शिक्षित माने जाते हैं

सहजता और सरलता से

मिल जाए उसका लक्ष्य

यही लालसा करते हैं

बहुत कम लोग बचे हैं

सत्य, त्याग को अपनाते हैं

वर्ना आजकल अपनी सुविधा में 

कई परिभाषाएं गढ़ते हैं

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सत्य का इतना प्रयोग हुआ

राजनीतिक संगठनों द्वारा

झूठ का दुष्प्रचार के लिए

सियासी पंथ द्वारा

अपना पंथ प्रचार के लिए

जिसका हुआ असर

सत्य, सत्य न रहा

मानों के बहलाने का औजार है !!!!


आजकल न्याय के लिए नहीं लड़ते

और नहीं समझते हैं

अपना अपना वर्ग है

जातियों का

जिसमें देखते हैं

न्याय / अन्याय !!!!

वो महान पुरुष

जो सत्य को स्थापित करने के लिए

जीवन की आहुति दी

और स्थापित किया

जीवन की सरलता

जिसके सिद्धांतों को

भ्रमित कर रहे हैं

आज के तथाकथित बुद्धिजीवी !!!!

सेक्युलर है

जब भी मुझसे मिलें

व्यक्तिगत रूप से

उसने कहा हम एक हैं

लेकिन वहीं आदमी

पीड़ित बन गया

सोशल मीडिया पर

अपने निजी एकाउंट पर

नफरतें रखी थी

मैं सोचता हूं

उसके अकाउंट देखकर

कितनी शोषित है

या शोषणकर्ता !!!!

भगवान नहीं है ख़ुदा है

वो आदमी बहुत जुदा है

सेक्युलरिज्म की परिभाषा

एक से नफ़रत दूजे पे फ़िदा है



झूठ को भी

सच साबित किया जा सकता है

जिसमें आत्मविश्वास, 

हल्ला मचा कर कहने की ताकत हो

लोगों का ध्यान खींचा जा सकता है

और जिसका ध्यान खींच गया

विचार कर लिया

उसे झूठ सच लगने में देर नहीं हो सकता है

बाहरी विचार का आना

बंद होने लगते हैं !!!


हां , लोग डरेंगे


लोग यही चाहते हैं तो क्या करें

आदमी मतलबी है मतलब की बात करें 

पेड़ काट दो ताकि व्यापार चलें

मुहिम चलाओ नए पेड़ों को तैयार करें

चलीं गईं है खुद्दारी लोग गिर रहे हैं

लेकर मतलब साथ चलो अब प्यार करें!!!!

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