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उदासीनता भी वैराग्य है
उदासीनता भी वैराग्य है
जिसे अपनाने से
ज्ञान की प्राप्ति होती है
संसार में
नीरसता और शुन्यता का भान होता है
सब कुछ जाना सा हो जाता है
जैसे -
पेड़ लगाने की जरूरत
पानी की कीमत
नदी क्यों बचाना है !
धर्म क्या है ?
मर्म क्या है ?
ईश्वर कौन है ?
कहां है ?
रिश्तों की समझ
रिश्तों की जरूरत
उसके महत्व का
ज्ञान हो जाता है
उदासीनता की
अपनी दार्शनिकता होती है
जिसमें बौद्धिकता
कब सोती और जागती है
जिसे जानते तो सब हैं
लेकिन मानते नहीं
जब तक उसकी बौद्धिक आंकलन में
स्वार्थ पूर्ति की गुंजाइश नहीं है
उसकी दार्शनिकता
उसे वैराग्यपन से
बाहर जाने नहीं देगी !!!!
उदासीनता कोई रोग नहीं है
उसकी धारणाएं थी
जो बदली भी नहीं
क्योंकि उसे मोहब्बत थी
अपनी पूर्वाग्रही धारणाओं से !!!!
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