Some-write-some-poetry-in-Hindi
कोई लिखता है
कोई दिखता है
वहीं महान है
गौतमबुद्ध का गृह त्याग
यशोधरा के लिए बेकार है
कोई तर्क करता है
कोई फर्क करता है
अपने- अपने नजरिए से
रावण महान है
जैसे दुनिया में
वहीं विद्वान है
रहा होगा उस जमाने में
हंस के सहा होगा उस जमाने में
तुम्हें तकलीफ़ हो रही है
उसके त्याग, बलिदान में
क्योंकि तुम चल नहीं सकते
अपने ही अभिमान में
तुझे चाहिए सहुलियत
तुम्हारी यही है असलियत
जिसे बदल देना चाहते हो
अपनी सुविधा में
पक्का यही तुम्हारी नीयत !!!
Some-write-some-poetry-in-Hindi
कितनी उदासीनता आई है
नैतिकता एक न भायी है
मनमर्जी की जिंदगी
उच्छृंखलता लेकर आई है
वो हंस लेता
जब ठग लेता है
अपने ही रिश्तों से !!!
शहर आया
खुशियों की तलाश में
अरमान पूरे करने की आस में
लौट आऊंगा लेकर खुशियां
अपनों के पास में
ढूंढा इतना हर शहर में
इस कोने से उस कोने में
इस तरह भटक गया हूॅं
तेरे शहर में
अब मुझे गांव के रास्ते
दिखाई नहीं देते हैं !!!
उसके शहर में सब कुछ था
नहीं थे तो पेड़
चिड़ियों के रहने के लिए घोंसला
इसलिए हर शहर में
चिड़ियाघर बनाया है
ताकि तुम मिल सको
उन पेड़ों से
जिसे गमले में लगाते हो !!!
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