मैं तेरा कर्ज उतार न पाऊंगा

will-not-be-able-to-pay-off-your-debt-poetry-in-Hindi- कुछ कर्ज न उतरे तो अच्छा है । जैसे प्रेम का । जो उतार दूंगा कहता है । वो प्रेम नहीं कर पाता है । प्रेम का कर्ज उतारने से अच्छा है । बढ़ता जाय । प्रेम का कर्ज मीठा अहसास है । जिस पर चढ़ता है । वो उतारना नहीं चाहता है । पढ़िए इस पर कविता 👇👇

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 मैं तेरा कर्ज उतार न पाऊंगा

ऐसा उधार लिया हूं जिसे दे न पाऊंगा
मैंने जितना दिया वो तेरा ब्याज है
शायद ! तेरे प्यार के तले दबा ही रह जाऊंगा
माना तेरी यादों में दर्द बहुत हैं मगर
आखिर इसी यादों में मैं मर जाऊंगा
मेरी उदासियां टूट जाती है तुझे देख कर
मैं जानता हूं इतनी खुशियां मैं और कहां पाऊंगा
ऐ ! मेरे प्यार मुझे डुबो दें या उबार दें
अपने ही दिल से हारा हूं तुझे छोड़ कहां जाऊंगा !!!

मेरा कर्ज 


मेरा कर्ज एक बार क्या चढ़ा
उतार नहीं पाया
जितना उतारा
उतना ही ब्याज मेरा बढ़ता गया !!

तेरा कर्ज है
मेरा फर्ज है
ब्याज देना
मैंने प्रेम ही ऐसा पाया है
जितना चुकाया है
उतना ही बढ़ा है !!!
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