तुष्टिकरण और बुद्धिजीवी

 समझाने के लिए बहुत लोग हैं

लेकिन समझाया जाता है उसे

जो समझने को तैयार हैं

जो सुनने को तैयार है

लेकिन मुर्ख और नंगें लोगों के सामने 

यही प्रवचनकर्तायों को सांप सूंघ जाता है

बुद्धिजीवी जो खुद को मानते हैं

वो अच्छी तरह जानते हैं

मुर्ख और नंगें लोगों को

समझाकर नहीं समझाया जा सकता है

उसके नंगेपन को

केवल बहलाया जा सकता है

कुछ पल के लिए

जैसे किसी बालक का

गिर जाने के बाद

जमीन को पीटा जाता है

यह बतलाने के लिए

बदला लिया गया है

उसके घाव का

और वो खुश हो जाता है

यहीं तुष्टिकरण है

नंगें और जिद्दी लोगों के प्रति

बुद्धिजीवियों के द्वारा

ताकि वो हंसे 

और परेशान न करे !!!



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