कोई सियासत के समर्थन में लिख रहा है

 कोई सियासत के समर्थन में लिख रहा है

कोई सियासत के विरोध में लिख रहा है

कुछ ज्ञान है उसे भी या फिर फायदा है
ऐसे - ऐसे करके सियासत सीख रहा है

करो चरण वंदना या फिर गुलामी तुम्हारी मर्जी
चारण - भाट सा कलम क्यों गा रहा है

नफ़रत है तेरी आलोचनाओं में सुधार नहीं
अब तेरा साहित्य किधर है वो दिख रहा है
कोई सियासत के समर्थन में लिख रहा है


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