जब सियासत को

 जब सियासत को

समाज और रिश्तों में
अनुमति दे दी जाती है
तब, समाज और रिश्तों की
कीमत घट जाती है
जब सियासत को
बौद्धिक क्षमता और योग्यता का
पर्याय मान लिया जाता है
जब सियासत से
प्राप्त की हुई सफलताओं को
मान्यता दे दी जाती है
इंसानों की नैतिकता घट जाती है
तब 
सब अपनी - अपनी चाल से
एक दूसरे को गिराने का
प्रयास करते हैं
दुनिया मौकापरस्ती की तलाश करती है
ऐसे में हर व्यक्ति दिनभर
अपने अपने लाभों की 
प्राप्ति में लगे रहते हैं 
दिनभर उलझे रहते हैं
अपनी चालों को संवारने में
किसी को कोई
कुछ नहीं कह सकता है
क्योंकि हमीं ने उसे अनुमति दी है
सियासत करने की !!!!





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