मेरे उस उजड़े दयार में - Hindi-Ghazal-in-Mere-Ujde-Dayar---meregeet

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 मेरे उस उजड़े दयार में
जीता था अपने प्यार में


लोग समझ नहीं पाए मेरी पीड़ा
जलता रहा दीया मेरे भीतर में

खुश था अपने भीतर ही भीतर
आखिर क्या रखा है इस संसार में

पाकर तेरा स्पर्श हृदय गदगद है
समाहित हूं अपने प्रेम के विस्तार में

मैं जानता हूं तेरे संग की कीमत
सुकून है तेरी बाहों के संसार में !!!

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उसका हृदय 
दया का प्रतिनिधित्व करते हुए 
आदिवासी जीवन में आया 
अर्द्ध नग्न कपड़ों पे लिपटी 
मांस के चिथड़े 
उसके हृदय की दया को स्थिरता दी 
वो सहलाने लगा 
हर घाव को 
सबको अच्छा लगा 
अपना है 

उसने अपने विचार से 
उसके विचार में पिछड़ापन देखा 
इसलिए बताना शुरू किया 
ज्ञान, विज्ञान 
और बदलते गए 
अपने विचार में 
कभी मुफ्त राशन 
कभी क्रुस 
कभी मालाएं दी
कपड़े अभी भी वहीं थे 
अर्द्ध नग्न 
धर्म बदल गया था 
आदिवासी से 
उसकी संस्कृति बदल चुकी थी 
दयावान को लगा 
ये लोग सभ्य हो गए हैं !!!!!

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