मैं निहारता रहा रिश्तों को
कभी आएंगे मेरी बाहों में
बड़ी उम्मीद थी समझ जाएंगे
अपने प्यार का मरहम लगाएंगे
मेरी तड़प मेरी आहों में
रिश्ते खुद में उलझा रहा
जिसे मैं अपना समझता रहा
बड़ी भूल थी मेरी उम्मीदों की
तन्हा ही चला मैं अपनी राहों में
चाहे टूटकर चाहो या गिरकर
चाहे रोओ बच्चों की तरह पांव पटकर
कोई बसाएंगे नहीं अपनी आंखों में
मैं निहारता रहा रिश्तों में
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