अकेला है हर शख्स

 मुझे क्यों अकेला सा लगता है

सारी दुनिया अकेला सा लगता है

वो मुस्कुराते हैं ज़रूर मगर
अपना दर्द छुपाया सा लगता है


जो बोझ उठाए हुए चलते हैं दिनभर
अरमान दिल में सजाया सा लगता है


मिलती नहीं है कहीं खुशियां मगर
एक उम्मीद में दिल जलाया सा लगता है


कभी कभी जो कर लेते हो गुफ्तगू मुझसे
मेरे दिल में सुकून सा लगता है


उसके वादों से लगता है वो मुझे चाहता है
मगर कई बातें उसकी जुदा सा लगता है

अकेला है हर शख्स



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