मैं डर जाता हूॅं fear-mongering-in Kavita

fear-mongering-in Kavita 

मैं डरता था उसे

क्योंकि मैं जानता था उसे
उसके हर शब्द
भेद करते हैं
मुझमें और उसमें
उसकी नजरों में
वे खुद ही श्रेष्ठ थे
बाकी से
इसलिए जिद करते थे
खुद को साबित करने के लिए
उसके पास कई तर्क थे
बनावटी भरे शब्दों से
सभ्यता दिखाते थे
सदा
जिससे मैं चौंक जाता था
कैसे कोई आदमी
सबके सामने ही
झूठ बोलता है
निश्चित होकर
झूठी मुस्कान लेकर
मानो सारी दुनिया में श्रेष्ठ है
उसके विचार
जिससे अवगत कराना चाहता है
जोर देकर
और मैंने जब भी कहा उसे
नहीं सुना मुझे
मेरी भी बात सुनो  !!!!!

मेरा डर यही रहा 
चाहें कहीं रहा 
वो बोल देते हैं मेरी नादानियों पर 
मैं बोल नहीं पाया 
उसकी गलतियों पर 
इसलिए उसे मौका मिला 
और मैंने मौका छोड़ा !!!!!
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