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तुम नहीं समझ सकते
किसी सत्य को
क्योंकि तुमने स्वीकारा है
दूसरों को गलत
खुद को बेहतर
इसलिए तुम नाराज़ हो
दुनिया बुरी है
जिसमें सुधार नहीं किया जा सकता है
कभी
तुम चिंतित हो
जैसे तुझ पर
बहुत बड़ा बोझ हो
जिसे उतरने के लिए
नाराजगी जताई जाती है
गैरों पर
लेकिन ..
काश ! तुम देख पाते
कभी खुद को
तो तुम्हें
सुधार की जरूरत नहीं होती
दुनिया को
और न ही नाराजगी होती
दुनिया से !!!
(२)
मैं जानता हूं
आखिर में तुम मुझे
छोड़ दोगे
मेरा दिल तोड दोगे
फिर भी चाहता हूॅं तुम्हें
अपने दिल की आरज़ू में
शामिल किया हूॅं तुम्हें
इस बात से अनजान होकर
हमारा प्यार सफल होगा कि नहीं
चाहता हूं तुम्हें !!!!
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