love-poem-hindi.
(१)
चांद एक दोस्त की तरह
अंधेरे में उजाले की तरह
अचानक मेरी छत पे आ गई
मैं निहारता रहा अजनबी की तरह
धवल चांदनी बिछ गई ज़मीं पे
जैसे अंतस में उजियारे की तरह !!!
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(२)
भरोसा था
इसलिए छोड़ा था
खुद को
तेरे सहारे
बिना बंधन के
तुम कहीं भी रहो
मैं कहीं भी रहूं
मेरे हो
दिल से
जुड़ा है रिश्ता
तेरे मेरे प्यार का
अपनापन का
अद्भुत !
जिसे हर कोई
देख नहीं सकता
समझ नहीं सकता
सिवाय तेरे मेरे !!!!
हम एक हो सकते थे
कुछ विचारों से मतभेद हो सकते थे
फिर भी एकरूपता
कम से कम बातों पे होनी थी
और एक समझ
जो सम्मान करना जानता है
कुछ भिन्न विचारों का
होना चाहिए था
मगर तुने एक दो बातों को
अपने अहम् से जोड़ दिए
शायद ! इसलिए तोड़ दिए !!!!
प्रेम के लिए जरूरी नहीं
पूर्ण सहमति
कुछ बातों को छोड़कर
रहा जा सकता है
दिल जोड़कर
उम्र भर !!!!
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