बाट रहे हैं लोगों को hate-spreader-people-poem-in-hindi

तथाकथित कवि हो या लेखक ।hate-spreader-people-poem-in-hindi नेता हो या कार्यकर्ता । नायक हो या नायिका । गायक हो या गायिका । जो भी स्थापित है । उनकी अपनी नफ़रत है । जिससे करते हैं । जीवन भर करते हैं । पद प्रतिष्ठा सब मिल जाएं । प्रेम चाहें कितना भी मिल जाएं । नहीं भूलते हैं । अपनी नफ़रत । अच्छे कार्यों के बहाने से बहलाना फुसलाना शुरू कर देते हैं । अपने एजेंडे को स्थापित करना । उनका उद्देश्य होता है । पढ़िए ऐसे ही तथाकथित बुद्धिजीवी लोगों पर कविता 👇👇

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 हर शैली उसकी नफरती थी 

शब्द में घृणा था 

जो न जाने कहाँ से 

प्रेरित था 

इसलिए सुधार की 

गुंजाइश नहीं थी 

जिसे जरूरत नहीं समझा था 

उसमें घृणा इतना था 

घृणा के शब्दों को 

अक्लमंदी समझ बैठा था 

जहाँ भी जाता था 

परोसता जाता था

सोशल मीडिया से लेकर 

सामान्य बोलचाल में 

हर जगह दिखता था 

उसके शब्दों में 

मानो जनजागरण के भाव हो 

जो असल में 

नफरत बाट रहे थे 

लोगों के बीच में 

एक दूसरे के प्रति


अधिकारों के प्रति 

सचेत तो करते थे 

मगर भूला देते थे 

कर्तव्यों को 

जैसे उसे अब लगता है 

विद्वान बनने का 

यही सही अवसर है

लोगों को जहर बाटकर !!!

हर शब्द में सियासत

हर बात पे नफ़रत

घृणा इस तरह

मेरी हर बात पे ग़लत

सवाल उठाया ठीक है

मगर जवाब में नफ़रत 

एजेंडा स्थापित किया गया है

उनकी चर्चा पे नफ़रत

हम चाहते हैं उसे

जिसके दिलों में नफ़रत !!!

मैं भूल जाता

अपनी नफ़रत

शर्त है उसे भी भूलनी होगी 

अपनी नफ़रत

ऐसा नहीं प्यार देके बेवकूफ बनूं

वो नफ़रत पाले

और मैं प्यार देके बेवकूफ बनूं !!!


बांट दिए हैं लोगों

नफ़रत सीखाकर

कुतर्क सीखाकर

तथाकथित बुद्धिजीवी

दोगला बनकर !!!!

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