Ghazal-Hindi - Prem Kavita
सब कुछ गंवा कर भी
तुझे चाहा मर कर भी
पैसों की कीमत है यहां
सुकून नहीं मिला तुझे पाकर भी
खुश रहूंगा बहुत मैं
मेरे यार तुझे छोड़कर भी
शर्त तुम्हारा है मानना पड़ेगा
क्या होगा हाथ मल कर भी
हां तुम्हारी मजबूरियां हैं
नहीं पछताएंगे सोच कर भी
शायद ! तुम खुश हो बहुत
मुस्कुराहट है दिल तोड़कर भी
जानता हूॅं आसान नहीं है भूलना
तुम याद आओगे भूलकर भी
ये मेरी दिल्लगी है यार
चाहता रहूंगा मर कर भी !!!
Ghazal-Hindi - Prem Kavita
लोग भूल जाएंगे
भूल जाने दो
पर मेरी भावनाएं
मेरी स्मृति
समाहित करेंगी
मेरे गुज़रे पल
जिसमें तुम थे
मेरे आधे सफ़र तक
बाकी दिन गुजारूंगा
तुम्हारी यादों के सहारे
किसी को बिना कहे !!!!
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