जिव्हा से निकलने वाले हर शब्द- हमारी पहचान है । word-and-identity-on-article हमारे दृष्टिकोण की । किसी भी वस्तु या चीज़ के प्रति ,,हमारी समझ में जितनी समझदारी है । वहीं शब्द हमारे निकलते हैं । इसे सम्भाल कर कहने के लिए आग्रह कर सकते हैं । जो कुछ हद तक किसी की परवाह की वजह से संयम बरत सकते हैं लेकिन दृष्टिकोण को नहीं । वक्त-वक्त में समान विचारधारा वालो के समक्ष निश्चितता के साथ बोल पढ़ते हैं । यदि ऐसे समर्थन उसे न मिले तो निश्चित ही अपने दृष्टिकोण में वो बदलाव करेंगे । नहीं करेंगे तो उसे उपेक्षित होना पड़ेगा । कुछ दिनों तक जरूर तलाश करेंगे समान विचारधारा के लोगों को । मिल जाते हैं तो सुधार की गुंजाइश मुश्किल है । यदि नहीं मिलेंगे तो सरल । लोगों के साथ चलने के लिए खुद में बदलाव की कोशिश जरूर करेंगे ।
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ये अलग बात है कि कभी-कभी जल्दी प्रतिक्रिया की वजह से हमारे शब्द ग़लत निकल जाते हैं । जिससे कोई आहत हो सकता है । ऐसे में किसी के चरित्र की पहचान करना गलत है । स्थाई तौर पर ।कुछ समय और देने पर यदि वो पुनरावृत्ति नहीं करते हैं तो निश्चित ही उसे खेद है जिसे वो दुबारा नहीं करेंगे । यदि पुनरावृत्ति करते हैं तो उसका स्वाभाव में शामिल हैं । जिस पर वो पूर्वाग्रही है ।
जिसके लिए या जिसके सामने गलत शब्द बोले हैं उसे उसका पुरजोर विरोध करना पड़ेगा । ताकि कहने से पहले परवाह करें उसकी ।
हर शब्द के अपने मायने होते हैं । शब्द ही है जो इंसानों को जोड़ते और तोड़ते हैं । जिसे आजकल के इंसान बखुबी जानते हैं । बनावटी शब्दों से अपना वास्तविक चरित्र को छुपाया जा सकता है । जिसे अक्सर सियासत या चालाकी करने वाले लोग आजमाते हैं । अपने शब्दों के कमाल से लोगों का ध्यान खुद से दुसरों पर टिका दिया जाता है । एक बहुत बड़े वर्ग को पता भी नहीं चलता कि उसको बहलाया गया है । उस चतुर इंसान के बौद्धिक क्षमताओं में उलझकर स्वयं के दृष्टिकोण को भूल जाता है । उसे लगने लगते हैं कि यही सच है ।
इतनी जल्दी स्वीकार करना किसी को हमारे विश्वास की गहराई,
आस्था और पसंद पर निर्भर करता है । जिसने कभी आपके भीतर प्रवेश कर लिया है । दिलो-दिमाग में ।
यदि आप उसे नापसंद या नफ़रत करते हैं तो बहकावे में नहीं आएंगे । आपके नफ़रत या नापसंद प्रेरित करके उसके शब्दों के तोड़ निकाल ही लेंगे ।
ध्यान रहे आपकी पसंद या नापसंद सत्यता नहीं है । सत्यता एक ऐसी समझ है जो बिरले को ही मिलते हैं । खासकर आजकल के जमाने में तो और भी मुश्किल है ।
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