love-poem-in-hindi
होना तो चाहिए था
तुम्हें भी किसी से प्रेम
ताकि तुम्हारे उबाऊपन
तुम्हारे पास न होते
तुम भी निखरे होते
खुद के भीतर ही भीतर
भौंरे की तरह गुनगुनाते फिरते
अपनी उदासी के पलों में
किसी का सहारा पाते
इसलिए होना तो चाहिए था
तुम्हें भी प्रेम, किसी से!!!
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प्रेम न मिले तो बेहतर है
अधूरा उससे बेहतर
प्रेम सुरक्षित है
बिन शिकायत के
बिन संवाद के
शिकवा गिला नहीं
हृदय अंतस्थ में
सजाते रहते हैं
गलतफहमी में सही
मगर हृदय से
जहां बुद्धि हिसाब किताब
नहीं लगा सकती हैं
हृदय के आसरे में
जीवित प्रेम !!!
बोला
कुछ शब्द
तौला भाव
प्रेम भटक गया
इधर उधर !!!
जो संवाद नयनों में समाहित है
शब्दों के आते तक
परिभाषित होने लगते हैं !!!
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