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खोने को कुछ रहा नहीं
रोने को कुछ रहा नहीं
संवेदना सभी सूख गई हैं
जज़्बात अब रहा नहीं
दिमाग से उलझे हुए हैं
दिल में आसरा रहा नहीं
गुगल का जमाना है यारों
पोथी पत्रा अब रहा नहीं
ठहरते कहॉं है अब प्यार में
अब दिल दीवाना रहा नहीं
शायद मैं आ जाता लौट कर
पहले जैसा दोस्त तू रहा नहीं
जीने की तमन्ना बहुत थी मगर
तेरी आंखों में प्यार रहा नहीं
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