ghazal-ishq-ki-hindi-me
रोने से भी क्या होगा
ग़ैर भी क्या सुना होगा
तेरे दिल के दर्द सभी
शायद ! और बढ़ा होगा
तेरी फजीहत हुई होगी
जहॉं दिल में प्यार ना होगा
तुने दिल की बातें कहीं होगी
तेरे अश्क यूॅं ना बहा होगा
चलो इश्क तेरे दफ्न हो गए
अब दिल को सुकून सा होगा !!!
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प्रेम
बिना निर्णय और दिशाहीन
निर्देशों का पालन था
जिसमें फैसला
उसके हाथों में
जिसने प्रेम को समझा नहीं था !!!!
ठहरा बस तुम्हीं पे
दिशाएं बदल दी
किसी बाई पास सड़क की तरह
जल्दी से पहुंचना चाहता था
तेरे पास !!!!
बहुत देर हो गई
प्रेम का जवाब आने में
तुने मुझे अवसर क्यों दिया !
इधर-उधर देखने के लिए
ध्यान क्या भटका
बदल गया विचार
और भाव
तुम्हारे प्रति !!!
जिसे फैसला सुनाना था
उसने मामला दर्ज नहीं की
अपनी शिकायत
उम्मीद खोती गई !!!!
अब तक फसल पक जानी थी
जबकि
तीन सौ फिट की जमीं न दी
पानी
न आसमान ने बरसें
पानी
फसलें सूखने पर ला दिया
तुमने !!!!
रोने से क्या होगा
यहां समझने वाला कोई नहीं !!!
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