गॉंव की शाम aaj-ka-village-ki-evening-poetry-in-hindi

गांव की शाम

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 गाँव की शाम 

पीते हैं जाम 

नदी किनारे 

तालाब किनारे 

झलकते हैं जाम 

गाँव की शाम


गोधुलि बेला नहीं रही 

ऐसी शाम अब नहीं रही 

मस्ती में सब चूर हैं 

घर से सब दूर हैं

तोडे़ंगे उदासी तमाम 

गाँव की शाम

 

मोटर साइकिल में घूमते हैं 

धुएँ के छल्ले उड़ते हैं 

पान, गुटका ,चखना 

दोस्तों के नाम 

गाँव की शाम

मन में सबके क्या हुआ 

हर चेहरा है क्यों बुझा हुआ

कर्म अच्छे सभी भूल गए

अब मय खाना है जिसका धाम

गॉंव की शाम !!!


गाँव की शाम 

लौटते पंक्षी घोसले में 

बच्चों के नाम 

गाँव की शाम 

दिनभर का थका शाम को लौटा 

अरमान सजाये काम से लौटा 

कर दी जिसने अपनी खुशियाँ तमाम 

गाँव की शाम !!!!!

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