मेरी चाहत Kavita-prem-ki - meregeet

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 मेरी चाहत सच्ची है

जिसे मैंने जाहिर नहीं की

तुम्हारे सामने

इसी उम्मीद में कि

तुम समझ जाओगे

मेरी चाहत को

आज या कल


ये समझकर

तुम्हें भी जरूरत होगी

प्यार की

आज या कल !!!

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मेरी चाहत 

यदि तुम 

मेरे व्यवहार में न देख पाओ 

मेरे वादे 

मेरी बातें 

मेरे इरादे 

तुम्हें प्यार देने के लिए 

अभी तैयार नहीं है 

समर्पण नहीं है 

तुझपे 

जिसे कभी भी 

छोड़ा जा सकता है 

बदला जा सकता है 

रिश्तों को !!!!


तुम समझ जाते हो 

अपना प्यार 

अपना सम्मान 

मगर तुम 

समझने की कोशिश नहीं की 

कभी भी 

मेरा सम्मान 

कितने मतलब पे थे 

तुम 

और मैं अनजान !!!!


मेरी चाहत है 

आसमां ऐसे ही रहे 

खाली-खाली 

जिस पर 

पृथ्वी अपना कक्ष बना लें 

और घुमती फिरें 

अपने सूर्य के इर्द-गिर्द 

निश्चित हो कर !!!!

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