Kavita-prem-ki-hindi
परिवर्तन
प्रकृति का नियम हो सकता है
पल-पल
बदलने का
लेकिन मैं चाहता हूॅं
न बदलें - मैं और तुम
किसी नियम में
जिंदगी की रेखाएं जो खिंची है
हमारे सफ़र की यात्रा पे
जब तक जिंदगी मौत नहीं लाती है
हम चलेंगे साथ-साथ
मौत के बाद तो
आखिर मिलना ही है
न परिवर्तन होने वाली जगह पे
सदा के लिए
सुकून के साथ
जहॉं प्रकृति हमें
परिवर्तन करने की कोशिश नहीं करती!!!!
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मैं तुम्हें चाहता हूं
उन सबके बावजूद
कि मेरा प्रेम बहुत है
जैसे ये जमीन
जैसे ये आसमां
जैसे चांद सूरज
जैसे नदी पहाड़
पेड़ पत्ते फूल
मेरी भूल
मेरी शूल
फिर भी मैं तुम्हें चाहता हूं
इन सबके साथ
तुम्हें शामिल करके !!!!!
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