Kavita-hindi-mae meregeet
जिसे हम विचार कहते रहे
वहीं विचार हमें तोड़ते रहे
अर्थहीन तर्कों में उलझा कर
वो अपनी विद्वत्ता से बहलाकर
अर्थहीन दुनिया का निर्माण करते रहे
और हम गूंगों की तरह सुनते रहे
हमने कभी उसपे सवाल नहीं उठाए
वो हमारी गलती गिन-गिन बताए
जबकि सवालों का जवाब नहीं था
असल में वो आदमी ही नहीं था
जिसे हम हमेशा अपनाते रहे
जो दिल में इरादे छुपाते रहे
जिसे प्यार-व्यार से मतलब नहीं था
वो हमारी दुनिया का नहीं था
देश की मिट्टी को कभी जाना नहीं
अपना वतन कभी माना नहीं
इश्क की बातें बताते रहे
नफ़रत दिलों में छुपाते रहे
पीठ पे खंजर चुभाते रहे
और हम बेवकूफों की तरह मुस्कुराते रहे
अभी भी वक्त है संभल जाओ "राज़"
क्या मिला है अबतक धोखा खाते रहे !!!!
Kavita-hindi-mae meregeet
जिसे हम विचार कहते रहे
तथाकथित बुद्धिजीवियों ने बदलाव करते रहे
न उसे मतलब था अच्छी बातों से
ज्ञान की बातें बताते रहे
सिखाते रहे
ठीक भाईचारे की तरह आए और
खंजर घुसाते रहे
जो ठीक न पाया किसी एक विचार पर
वामपंथियों की तरह भटकते रहे
अभी वो पेट भर खाया है
फिर भी रोजी-रोटी की मांग करते रहे
सवाल उठाया धर्म पर
और नग्नता की मांग करते रहे!!!!
वामपंथियों की तरह
मैं नहीं सोचता
यही कि रोटी की मांग ही बड़ा है
बहुत कुछ चाहिए जीने के लिए
सरलता पूर्वक जीने के लिए
केवल भूख को बड़ी मान लेना
जीवन को पेट तक सीमित करना है !!!!
जिसे हम विचार कहते हैं
वह बहकाना है
अपने एजेंडे में फंसाना है
चालाक लोगों द्वारा रची साजिश
मुश्किल में है बचकर निकल पाना
जब उलझे तब जाना है !!!!
जिसे हम विचार कहते रहे
वो बहलाना था
उसकी नकारात्मकता से
देश को थकाना था
आ गए महान् हस्ती है जताने के लिए
कोई रवीश, कोई ध्रुव राठी था !!!!
इन्हें भी पढ़ें 👉 जो ऐसा
0 टिप्पणियाँ