दिलचस्पी नहीं है ईमानदारी में

poetry on social thinking

 दिलचस्पी नहीं है ईमानदारी में

इसलिए उसे काम में मन नहीं था

वो चाहते रहे कुछ और ही

जिसे खर्चा पानी चाहिए था

वो जानते थे ईमानदारी की क़ीमत

वो मानते थे सच की अहमियत

लेकिन फायदे की नीयत से उदासीन था

उसके रिश्तों की अहमियत

सियासत पे टिकी थी

चंद सुविधाओं के खातिर

जिसने अपनी ज़मीर बेची थी

वो जानते थे मतलब निकालना

इसलिए उसकी बातों में सभ्यता दिखी थी !!!

poetry on social thinking

शिक्षित होने का प्रमाण है

अपने हितों का ध्यान रखना

अच्छे-अच्छे कपड़े पहनकर

सभ्य दिखना !!!

घर से निकलते ही
कुछ लोग मिलते ही
मतलब साधने को तैयार
इतने चालाक है आजकल के लोग
यही शिक्षित हैं यार !!!

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