बेकार न जाए अपनी जिंदगी

poem on life_

 बेकार न जाए

अपनी जिंदगी

एक अहसास के सहारे

जीती जिंदगी

लोगों के तर्कों से

बाल का खाल

उतर न जाए

उलझ न जाए

सबकी जिंदगी

अर्थों के गुण को

सार्थक जीवन के पूर्ण को

भूल न जाए

बेवजह जिंदगी

ध्यान रखो

ख्याल रखो

कौन सच है

कौन झूठ है

तेरी मेरी जिंदगी !!!!

कविता जिंदगी की 

वो आकर

ऐसे सवाल करते हैं

बिन मांगे सलाह देते हैं

जो आतुर है

खुद को साबित करने के लिए

सच को झूठ करने के लिए

जिसे सुनते हैं लोग

बोलने की आदत से

मानों अभिव्यक्ति

उसे ही मिला है

जिसे सुनाने को ग्वार मिला

उसके विचारों से

सहमति जताने के लिए !!!!

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